पीएम मोदी की एक और क्रांतिकारी पहल


बद्रीनाथ वर्मा


लीक से हटकर काम करने में यकीन रखने वाले पीएम मोदी की स्वामित्व योजना क्या वाकई गांवों, गरीबों और किसानों की सूरत बदलने के क्रम में एक और मास्टरस्ट्रोक साबित होगी? दरअसल, यह सवाल यहां इसलिए है क्योंकि राजनीतिक जरूरतों के लिए गांव और गरीब की बात तो खूब की गई लेकिन सच्चाई यह है कि किसी भी सरकार ने अब तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया था। नतीजा, गांव और गरीब की समस्या नित नये विकराल रूप धारण करती चली गई। लेकिन अब माहौल बदल रहा है। गांव और गरीब की शुधि वाकई ली जाने लगी है। जनकल्याण के लिए नये नये आयडिया के साथ जनता से सीधा संवाद करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना के जरिए एक बार फिर ऐतिहासिक पहल की है। उनकी इस पहल का सबसे बड़ा फायदा जमीनी विवाद के खात्मे के रूप में सामने आयेगा। साथ ही इस योजना से भू-संपत्ति मालिक अपने संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे। जरूरत पड़ने पर इससे बैंक से आसानी से लोन लिया जा सकेगा। इस योजना का पूरा नाम है सर्वे ऑफ विलेज एंड मेकिंग विद इम्प्रोवाइज्ड टेक्नोलॉजी इन इमेज एरियाज। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है। इसका क्रियान्वयन 4 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से किया जाएगा। इसे 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है। इसके तहत देश के सभी 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाएगा।


स्‍वामित्‍व योजना के अंतर्गत गांवों की आवासीय भूमि की पैमाइश ड्रोन के जरिए होगी। ड्रोन से गांवों की सीमा के भीतर आने वाली हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्‍शा तैयार होगा। साथ ही हर रेवेन्‍यू ब्‍लॉक की सीमा भी तय होगी। यानी कौन सा घर कितने एरिया में है, यह ड्रोन टेक्‍नोलॉजी से सटीकता से मापा जा सकेगा। गांव के हर घर का प्रॉपर्टी कार्ड राज्‍य सरकारें बनाएंगी। आसान शब्दों में कहें तो गांव की सभी इमारतों, मकान, दुकान, जमीन, तलाब आदि का एक लेखा जोखा तैयार किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य संपत्ति के रिकॉर्ड तैयार करना और मालिकाना हक तय करना है। निश्चय ही गांव और गरीब को लक्षित कर शुरू की गई यह योजना गंवई विकास के लिहाज से क्रांतिकारी कदम साबित होगी।


उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम कई ऐसी उपलब्धियां हैं जो उन्हें अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों में सबसे अलग करती है। मजबूत व दृढ़ इच्छाशक्ति के धनी प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के साढ़े छह वर्षों में कई सारे ऐसे फैसले लिये और उन्हें कार्यरूप में परिणत किया जिसे अब तक बहुत दुरूह व मुश्किल समझा जाता रहा है। मसलन, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करना हो या फिर पाकिस्तान को उसी के घर में घुसकर जवाब देना। पीएम मोदी के इन फैसलों की गूंज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सुनाई दी। ये मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति ही थी कि तीन तलाक जैसी कुरीति को इतिहास के गर्त में डाल दिया गया। राम मंदिर को लेकर दशकों से चले आ रहे विवाद का भी समाधान पीएम मोदी के कार्यकाल में ही निकला। इसके अलावा कई जनकल्याणकारी योजनाएं मसलन, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय योजना से लेकर जन धन योजना व आयुष्मान योजना तक मोदी सरकार के नाम ढेर सारी उपलब्धियां दर्ज हैं। कई तो ऐसी हैं जो भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गईं।


गांव और गरीब को अपनी प्राथमिकता सूची में रखने वाले पीएम मोदी ने ग्रामीण भारत में बदलाव के लिए बड़े सुधारों की ओर क़दम बढ़ाने के क्रम में 11 अक्टूबर को ‘स्वामित्व योजना’ का शुभारंभ करते हुए एक लाख भू-संपत्ति मालिकों को 'संपत्ति कार्ड’ के वितरण का मार्ग प्रशस्त किया, जिसके बाद लोग इंटरनेट से ही इसे डाउनलोड कर सकेंगे। इसका लिंक ग्रामीणों को एसएमएस से ही मिल जाएगा। इसके तहत 6 राज्यों के 763 गांवों के लोग लाभान्वित होंगे। स्वामित्व योजना की वर्चुअल शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘संपत्ति कार्ड’ को प्राप्त करने वाले एक लाख लोगों को बधाई देते हुए कहा कि आज आपके पास एक अधिकार है। एक कानूनी दस्तावेज है कि आपका घर आपका ही है, आपका ही रहेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह योजना हमारे देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली है और साथ ही कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है क्योंकि ‘स्वामित्व योजना’ गांवों में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है।


बकौल पीएम नरेंद्र मोदी, जब संपत्ति का रिकॉर्ड होता है, जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है। निवेश के लिए नए रास्ते खुलते हैं और बैंक से कर्ज आसानी से मिलता है जिससे रोजगार-स्वरोजगार के रास्ते बनते हैं। पूरे विश्व के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जमीन और घर के मालिकाना हक की, देश के विकास में बड़ी भूमिका होती है। प्रधानमंत्री के मुताबिक गांव के कितने ही नौजवान हैं, जो अपने दम पर कुछ करना चाहते हैं, लेकिन घर होते हुए भी उन्हें अपने घर के नाम पर बैंक से कर्ज मिलने में कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ‘स्वामित्व योजना’ के तहत बने प्रॉपर्टी कार्ड को दिखाकर, बैंकों से बहुत आसानी से कर्ज मिलना सुनिश्चित होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि बीते 6 सालों से पंचायती राज सिस्टम को सशक्त करने के लिए जो प्रयास चल रहे हैं, उनको भी स्वामित्व योजना मज़बूत करेगी।


इस दौरान सरकार के कामकाज पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 6 वर्षों में पुरानी कमी को दूर करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। आज देश में बिना किसी भेदभाव, सबका विकास हो रहा है, पूरी पारदर्शिता के साथ सबको योजनाओं का लाभ मिल रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि 6 दशकों तक गांव के करोड़ों लोग बैंक खातों, शौचालय, गैस कनेक्शन और घर से वंचित थे। अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने के साथ ही प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यूरिया की नीमकोटिंग से जिनके गैर-कानूनी तौर तरीके बंद हो गए, दिक्कत उन्हें हो रही है। किसानों के बैंक खाते में सीधा पैसा पहुंचने से जिनको परेशानी हो रही है, वो आज बेचैन हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे किसानों, पशुपालकों, मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड मिलने से जिनकी काली कमाई का रास्ता बंद हो गया है, उनको आज समस्या हो रही है।


उल्लेखनीय है कि ‘स्वामित्व’ केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस यानी 24 अप्रैल, 2020 को घोषणा की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है। अलग-अलग राज्यों में संपत्ति कार्ड को अलग-अलग नाम दिए गए हैं। इसका इस्तेमाल लोन आदि के आवेदन समेत अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा। पंचायती राज मंत्रालय ही इस योजना को लागू कराने वाला नोडल मंत्रालय है। राज्‍यों में योजना के लिए राजस्‍व/भूलेख विभाग नोडल विभाग हैं। ड्रोन्‍स के जरिए प्रॉपर्टी के सर्वे के लिए सर्वे ऑफ इंडिया नोडल एजेंसी है। योजना का मकसद है कि ग्रामीण इलाकों की जमीनों का सीमांकन ड्रोन सर्वे टेक्‍नोलॉजी के जरिए हो। इससे ग्रामीण इलाकों मे मौजूद घरों के मालिकों के मालिकाना हक का एक रिकॉर्ड बनेगा। वह इसका इस्‍तेमाल बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्‍य कामों में भी कर सकते हैं।


प्रश्न यह है कि इस योजना की जरूरत क्यों आन पड़ी तो इसका सीधा सा जवाब है कि कहने के लिए भले ही यह कहा जाता रहा है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने गांवों की समस्याओं को दूर करना तो दूर समझने तक की जहमत नहीं उठाई। बावजूद इसके कि देश की 60 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है। लेकिन अधिकतर ग्रामीणों के पास अपने घरों के मालिकाना हक के कागजात नहीं हैं। अंग्रेजों के समय से ही गांवों की खेतिहर जमीन का रिकॉर्ड तो रखा गया, लेकिन घरों पर ध्‍यान नहीं दिया गया। कई राज्‍यों में गांवों के रिहाइशी इलाकों का सर्वे और मैपिंग संपत्ति के सत्‍यापन के लिहाज से नहीं हुआ। नतीजा ये हुआ कि कई घरों के संपत्ति के कागजात मौजूद नहीं हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए 'स्‍वामित्‍व' योजना लाई गई। इसके तहत लोगों को प्रॉपर्टी कार्ड दिया जाएगा जो जमीन पर उनके मालिकाना हक का सुबूत होगा। राज्यों की सरकारें इन कार्ड्स को बनाएंगी। फिलहाल डिजिटल कार्ड दिए जा रहे हैं लेकिन जल्द ही असली कार्ड भी लोगों को बांटे जाएंगे। ऐसा करने से जमीन आदि के झगड़ों में कमी आएगी और लोग आसानी से अपना मालिकाना हक साबित करके बैंक से लोन आदि ले सकेंगे।